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लेखक:

राजीव सिंह

राजीव सिंह का जन्म 01 नवम्बर, 1956 को बनारस, उत्तर प्रदेश में हुआ। बनारसी गँवईपन के बीच उनका बचपन बीता। शहर के मंदिरों, गंगा, घाटों को निहारते, पक्का महाल की गलियों में घूमते और बनारस के ताने-बाने को समझते हुए बड़े हुए। भारतीय संस्कृति, साहित्य, संगीत, कला, हिन्दू धर्म और उसके पोंगापंथ की समझ भी वहीं विकसित हुई। कबीर और तुलसी के राम के अन्तर को वहीं समझा। गंगा-जमुनी संस्कृति को देखा। वामपंथी, दक्षिणपंथी और समाजवादी विचारधारा की समझ भी बनारस में ही बनी।

उन्होंने बी.एच.यू. से हिन्दी में पी-एच.डी. की। शुरू में अख़बारों में शौक़िया लेखन किया लेकिन आगे चलकर पत्रकारिता उनका पेशा बना। बनारस में रहते हुए वहाँ के चार अख़बारों से क़रीब बीस साल तक जुड़े रहे। ‘दैनिक आज’ के वरिष्ठ पत्रकार चंद्रकुमार की याद में बनारस में ‘चंद्रकुमार मीडिया फ़ाउंडेशन’ की स्थापना की जिसके तहत ग्रामीण पत्रकारों के लिए सालाना जलसे का लम्बे समय तक आयोजन किया।

बाद में दिल्ली रहने लगे। दिल्ली ने पेशा बदल दिया। लगभग 15 वर्षों तक जनसंचार संस्थानों में प्राध्यापन किया। फ़िलहाल दिल्ली ही ठिकाना है।

तीन पुस्तकें प्रकाशित हैं—‘प्रगतिशील आलोचना की परम्परा’, ‘डॉ. रामविलास शर्मा’ और ‘कविता में बनारस’।

ईमेल : rajeevpratapvns@gmail.com

कविता में बनारस

राजीव सिंह

मूल्य: Rs. 299

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